मध्य प्रदेश का चुनाव दिलचस्प हो चुका है और हर रोज़ पार्टियों की ओर से घोषणाओं का अंबार चलाया जा रहा है। लेकिन अंतिम निर्णय तो जनता को देना है। शायद यही वजह है कि कांग्रेस से लेकर भारतीय जनता पार्टी की ओर से वादों की झड़ी लगाई जा रही हो। इस बीच भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों की कार्टून निकालने के लिए कांग्रेस की ओर से मैराथन बैठकें की जा रही है। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए दिल्ली में कांग्रेस की नीती बनाई जा रही है। इसके लिए उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने के लिए दिल्ली में कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई। इसके बाद इसकी जानकारी देते हुए कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि बैठक सीट बंटवारे को लेकर चर्चा पर थी, जो कि ठीक उसी प्रकार से हुई।
वी सी मीटिंग सीट के बारे में डिस्कशन करेंगे वो कर दिया। इधर इस बैठक में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में शामिल कमलनाथ भी शामिल हुए थे। विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने के लिए दिल्ली में कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद मध्यप्रदेश की पूर्व सीएम और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने बताया, हमने कई नामों पर चर्चा की है। फिलहाल कोई इसको लेकर फैसला नहीं किया गया है। अगले छह से सात दिनों में उम्मीद है कि फैसला हो जाएगा, 130 से 140 सीटों पर हमारी चर्चा हो चुकी है। एक और बैठक बुलाई जाएगी और फैसला होगा। अभी हमारी सेंट्रल इलेक्शन कमेटी की बैठक हुई है। हमने बहुत सारे नामों पर चर्चा कर रही है। अभी कोई फैसला नहीं हुआ और यह फैसला अगले छह 7 दिन में हम करेंगे, पर लगभग हमने 140 सीटों पर 130 -140 सीटों पर चर्चा हुई है और सबके सुधार सुन लिए। सबके सुधार सुनके अब फिर से हम बैठक बुलाएंगे और फैसला करेंगे। सुन अभी चार 5 दिन तो लगेंगे क्योंकि लगभग 140 सीटों पर 230 सीटों वाले मध्य प्रदेश की राजनीति पल पल बदल रही है। कारण है कि कभी कांग्रेस की ओर से लोक लुभावन घोषणाएं की जा रही है तो कभी सत्ता में बैठे सीएम शिवराज की ओर से लाडली बहनों के लिए गैस से लेकर उनके ख्याल रखने तक की बातें कही जा रही है। इसके पहले भी कई बार मुख्यमंत्री शिवराज ने भावुक अपील करते हुए कहा कि हम चले जाएंगे तो फिर मुझे आप लोग जाग करोगे। ऐसे में देखना होगा कि आने वाले समय में दोनों पार्टियों की ओर से और कौन कौन से अपील की जा सकती है और फिर योजनाओं की घोषणा भी की जाती है। आखिरकार अंत में जनता अपना फैसला क्या सुनाती है?